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Saturday 1 April 2017

👉IAS MOTIVATION


👉IAS MOTIVATION✍ अकसर प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करने वाले
प्रतियोगियों के सामने यह समस्या आती है ,कि
पढाई में मन नही लगता है । मगर पढना प्रतियोगी
परीक्षा के लिए बहुत जरुरी है । तो मेरे अनुभव और
विचार से तो सबसे पहले पढाई में मन न लगने के कारन
का पता लगाना चाहिए कि आखिर पढाई में मन
क्यों नही लग रहा है ?
.
मेरे विचार से कुछ सामान्य कारण ये हो सकते है :-
1- पढाई का उपयुक्त माहौल का न होना ।
2- पढने का उचित समय का न होना ।
3- पढने के लिए उपयुक्त सामग्री का न होना ।
4- उचित मार्गदर्शन का न होना ।
5- अन्य कार्यो से व्यवधान ।
6 एकाग्रता की कमी होना ।
7- दृढ निश्चय का अभाव।
.
मेरे ख्याल से उपरोक्त सामान्य कारणों से
सामान्यतः प्रतियोगी पढ़ नही पाते है , इनके
अलावा भी कुछ अन्य विशेष कारण हो सकते है , जो
अलग अलग लोगो के लिए अलग हो सकते है । आज हम
इन्ही सामान्य कारणों की चर्चा करते है । इन
कारणों में सबसे महत्वपूर्ण कारण जो है , वो है उचित
मार्गदर्शन का न होना । उचित मार्गदर्शन का
प्रतियोगी परीक्षाओ में अति महत्वपूर्ण स्थान है ।
जैसे आपको अगर दिल्ली जाना है , और आपको सही
रास्ता मालूम नही , अगर आपको सही मार्गदर्शक
नही मिला तो हो सकता है , कि आप किसी तरह से
दिल्ली पहुच भी जाये मगर इसमें आपका बहुत सारा
समय और धन खर्च हो सकता है । मगर सही मार्गदर्शक
मिलने पर आप समय के साथ धन भी बचा सकते है , और
अपनी मंजिल पर सही वक़्त पर पहुच सकते है । अतः
सही ढंग से तैयारी शुरू करने के लिए एक उपयुक्त
मार्गदर्शक अतिआवश्यक है । कई बार हम मेहनत और
प्रयास तो बहुत करते है मगर सफलता नही मिलती है ,
दूसरी तरफ कुछ लोग कम मेहनत और कुछ प्रयास में ही
सफल हो जाते है ।
.
इसका कारण उनका सही दिशा में सार्थक प्रयास
होता है । जैसे - अगर हम कील को उल्टा पकड़कर
कितनी भी जोर से दीवार में ठोंके वह नही ठुक
सकती है , वही उसे सीधा कर देने पर वह थोड़े प्रयास
से ही आराम से ठुक जाएगी । इसी तरह प्रतियोगी
परीक्षा में सही दिशा में सही प्रयास बहुत जरुरी है ।
अब हम मूल मुद्दे पर आते है , कि कैसे हम पढाई में मन
लगाये : -
सबसे पहले तो पढने के लिए एक लक्ष्य या उद्देश्य
होना जरुरी है , यह हमारे लिए प्रेरक का कार्य करता
है । अगर लक्ष्य विहीन है ,तो हमारी सफलता
शंकास्पद होगी । अतः एक लक्ष्य होना अति
आवश्यक है । एक से अधिक लक्ष्य होने से मन अधिक
भटकता है और पढाई में मन नही लगता है ।
.
अब लक्ष्य निर्धारण के बाद समुचित तैयारी जरुरी है ,
अर्थात हमें अपने लक्ष्य के बारे में पूरी जानकारी
जुटानी होगी , कि परीक्षा कैसे होगी ?
सिलेबस क्या है ?
पैटर्न किस तरह का है ?
प्रश्न किस तरह के आते है ?
पाठ्य सामग्री कहाँ से , कैसे मिलेगी ?
तैयारी की रणनीति क्या होगी ?
सफलता के लिए कितनी मेहनत जरुरी है ?
सफल लोगो की क्या रणनीति रही थी ? इत्यादि
अगर हम इन प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर लेते है तो ,
हमारी समास्या का आधा समाधान हो जायेगा ।
अब आधे समाधान के लिए हमें अपनी दिनचर्या को
व्यवस्थित करना होगा । मतलब सेल्फ मेनेजमेंट
यदि हम खुद को सही तरीके से प्रतियोगिता के
हिसाब से नही ढाल पाते है, तो सफलता में
संदिग्धता होगी । हमें अपनी पढाई का समय और घंटे
अपनी क्षमता के अनुसार निर्धारित करने होंगे । और
निर्धारित समय सरणी का द्रढ़ता के साथ पालन
करना होगा । इसके लिए हम प्रेरक व्यक्तिवो , प्रेरक
प्रसंगों, प्रेरक पुस्तकों आदि का सहार ले सकते है ।




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